आज कुछ नहीं दिया मुझे पूर्व ने
यों रोज कितना देता था।
छंद—छंद हवा के झोंके
प्रकाश गान गंध
आज उसने मुझे कुछ नहीं दिया
शायद मेरे भीतर नहीं उभरा
मेरा सूरज खोले नहीं मेरे कमल ने
अपने दल
रात बीत जाने पर!
यों रोज कितना देता था।
छंद—छंद हवा के झोंके
प्रकाश गान गंध
आज उसने मुझे कुछ नहीं दिया
शायद मेरे भीतर नहीं उभरा
मेरा सूरज खोले नहीं मेरे कमल ने
अपने दल
रात बीत जाने पर!
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बुढ़ापा कहता है—
यह आंधी, यह तूफान, ये तेज धारे फड़कते तमाशे, गरजते नजारे
अंधेरी फजा, सांस लेता समंदर
न हमराह मिशअल, न गदू पे तारे
मुसाफिर, खड़ा रह अभी जी को मारे
अंधेरी फजा, सांस लेता समंदर
न हमराह मिशअल, न गदू पे तारे
मुसाफिर, खड़ा रह अभी जी को मारे
जवानी कहती है—
उसी का है साहिल, उसी के कगारे
तलातुम में फंसकर जो दो हाथ मारे
अंधेरी फजा, सांस लेता समंदर यों ही सर पटकते रहेंगे ये धारे
कहां तक चलेगा किनारे—किनारे
जिस दिन तुम हारे, उस दिन के हुए। जिस दिन तुमने कहा कि तूफान बड़ा है, अभी रुक जाओ, तुम सदा के लिए रुक गए। तूफान तो सदा है। तूफान तो इस जगत के होने का ढंग है। तूफान तो संसार है। अगर तुमने कहा—
यह आंधी, यह तूफान, ये तेज धारे
फड़कते तमाशे, गरजते नजारे
अंधेरी फजा
यह अंधेरी रात…
सांस लेता समंदर
ये उठती हुई गहरी सांसें समंदर की
न हमराह मिशअल
हाथ में एक मशाल भी नहीं
न गदू पे तारे
और आकाश में एक तारा भी नहीं
मुसाफिर खड़ा रह अभी जी को मारे
तलातुम में फंसकर जो दो हाथ मारे
अंधेरी फजा, सांस लेता समंदर यों ही सर पटकते रहेंगे ये धारे
कहां तक चलेगा किनारे—किनारे
जिस दिन तुम हारे, उस दिन के हुए। जिस दिन तुमने कहा कि तूफान बड़ा है, अभी रुक जाओ, तुम सदा के लिए रुक गए। तूफान तो सदा है। तूफान तो इस जगत के होने का ढंग है। तूफान तो संसार है। अगर तुमने कहा—
यह आंधी, यह तूफान, ये तेज धारे
फड़कते तमाशे, गरजते नजारे
अंधेरी फजा
यह अंधेरी रात…
सांस लेता समंदर
ये उठती हुई गहरी सांसें समंदर की
न हमराह मिशअल
हाथ में एक मशाल भी नहीं
न गदू पे तारे
और आकाश में एक तारा भी नहीं
मुसाफिर खड़ा रह अभी जी को मारे
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तू खुर्शीद है बादलों में न छुप
तू महताब है जगमगाना न छोड़
तू शोखी है, शोखी रियायत न कर
तू बिजली है बिजली जलाना न छोड़
अभी इश्क ने हार मानी नहीं
अभी इश्क को आजमाना न छोड़
प्रेम हारता ही नहीं। जब तक परमात्मा न मिल जाए, प्रेम हार ही नहीं सकता। प्रेम बीज है परमात्मा का।
अभी इश्क ने हार मानी नहीं
अभी इश्क को आजमाना न छोड़
तू महताब है जगमगाना न छोड़
तू शोखी है, शोखी रियायत न कर
तू बिजली है बिजली जलाना न छोड़
अभी इश्क ने हार मानी नहीं
अभी इश्क को आजमाना न छोड़
प्रेम हारता ही नहीं। जब तक परमात्मा न मिल जाए, प्रेम हार ही नहीं सकता। प्रेम बीज है परमात्मा का।
अभी इश्क ने हार मानी नहीं
अभी इश्क को आजमाना न छोड़
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