प्राण—पाहुन! दिव्य लोचन दो
कि तुमको देख पाऊं।
बंद पलकें हों, मगर दिलबर!
तुझे मैं देख पाऊं!
अश्रु से धो, प्यार का
जीवन—कमल चरणन चढ़ाऊं।
प्यार के गा गीत प्यारे!
मैं हृदय में ही समाऊं।
जिंदगी के गीत छेड़ो,
बांसुरी प्रियतम बजाऊं।
आज मधुबन बीच प्यारे!
रास प्रियतम संग रचाऊं।
तुम मिले, प्रियतम मिला,
जन्नत मिला, क्या और चाहूं?
प्यारे के ये गीत तेरे
अधर पर मैं गुनगुनाऊं।
दूर हूं तुमसे पिया!
पर गीत तो उर में छिड़े हैं।
धड़कते दिल में तुम्हीं,
पर देख तो सकते नहीं हैं।
प्राण पाहुन! दिव्य लोचन दो,
कि तुमको देख पाऊं।
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बन गीत अधरों से सदा छिड़ते तुम्हीं,
बन अश्रु नयनों से ढलकते हो तुम्हीं,
गीत के हर रंग में, हर ढंग में,
कसक बन प्रियतम! सदा ढलते तुम्हीं।
साज हो, थृंगार जीवन के तुम्हीं,
प्रीत की मूरत तुम्हीं बस एक हो
प्यास जीवन की, कसक उर की पिया!
आस जीवन की तुम्हीं बस एक हो।
छोड़ तुमको और कुछ चाहूं नहीं,
एक तुम ही जिंदगी की प्यास हो।
अश्रु नयनों के, अधर का हास भी,
हृदय की धड़कन, तुम्हीं संसार हो।
हृदय में प्रियतम! बसो तुम हर घड़ी,
क्या कहूं दिलबर! तुम्हीं हर सांस
हो।
मैं बुलाऊं या नहीं, तुम हो सदा,
ओ निठुर प्रियतम! कहो क्यों छिपे हो?
हृदय में प्रियतम! बसो तुम हर घड़ी,
क्या कहूं दिलबर! तुम्हीं हर सांस
हो।
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दीप मंदिर के जला लो,
आंख में अंजन लगा लो,
अश्रु से धो नयन अपने,
पलक में प्रियतम बसा लो।
प्यार के वह गीत बन कर,
हर अधर पर गा रहा है।
हर हृदय के तार पर,
झंकार बन कर छा रहा है।
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मैं नालाए—दिल से काम लूंगा मुझी से होगा यह
काम मेरा
सबा को है क्या गरज कि उन तक वो ले
के जाए पयाम मेरा
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दिल है तो उसी का है जिगर है तो उसी
का
अपने को रहे—इश्क में बरबाद जो कर दे
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क्यों दिल के तकाजे पर बेवक्त दुआ
मांगी
मत मानो मन की इन चालबाजियों को।
क्यों दिल के तकाजे पर बेवक्त दुआ
मांगी
कुछ जब किया होता, कुछ सब्र किया होता
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मेरे अल्लाह ने क्या—क्या मुझे दौलत दी है
वह जो प्रार्थना से भरा हुआ हृदय है, वह तो हर चीज के लिए धन्यवादी है।
दिल दिया, दर्द दिया, दर्द में लज्जत दी है
और क्या चाहिए? सुख की तो मांग का सवाल ही नहीं है।
वह इसके लिए भी धन्यवादी है कि दिल दिया, दिल में दर्द की क्षमता दी और दर्द
में भी एक प्रसाद दिया, एक
लज्जत दी, एक
सौंदर्य दिया। क्योंकि दर्द न होता तो दिल न होता, दिल न होता तो तुम पत्थर होते। दिल
है,
दर्द है, तो तुम पत्थर नहीं हो— तुम प्राण हो, तुम प्राणवान हो। तुम्हारे भीतर
संवेदनशीलता है। और तुम्हारी संवेदनशीलता ही तुम्हारी एकमात्र संभावना है विकास
की।
दिल दिया, दर्द दिया, दर्द में लज्जत दी है
मेरे अल्लाह ने क्या—क्या मुझे दौलत दी है
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‘जोश’ बिसाते—शौक में मर्ग है अस्त जिंदगी
बाजिए—इश्क जीत ले, बाजिए—उम्र हार कर
‘जोश’ बिसाते—शौक में मर्ग है अस्त जिंदगी
अगर प्रेम के रास्ते पर चलना है, अगर प्रभु—मिलन की आकांक्षा है— बिसाते—शौक— अगर उसके साक्षात्कार की लगन है तो
फिर मरने की तैयारी दिखानी पड़ेगी। उसके साक्षात्कार की लगन है तो मृत्यु की अगन से
गुजरना पड़ेगा।
‘जोश’ बिसाते—शौक में मर्ग है अस्त जिंदगी
उसके रास्ते पर मरना ही असली जिंदगी
को पाना है।
बाजिए—इश्क जीत ले
जिंदगी का दांव, प्रेम का दांव जीत ले!
……बाजिए—उम्र हार कर
वहां तो सब गंवा देना होगा, जीवन गंवा देना होगा, तो प्रेम की बाजी जीती जा सकती है।
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जितनी छींटें हैं लहु की सब हैं
तारीखे—जुनू
गौर से नज्जाराए—दीवारे—जिदा कीजिए
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फूल हंस—हंस कर दिखाते हैं जहां को दागे—दिल
मुख्तलिफ शक्लें हैं इजहारे—गमो— आलाम की
फूल हंस—हंस कर कह रहे हैं कि समझो!
फूल हंस—हंस कर दिखाते हैं जहां को दागे—दिल
अपने हृदय के घाव दिखा रहे हैं हंस—हंस कर कि जरा देखो!
मुख्तलिफ शक्लें हैं इजहारे—गमो— आलाम की
दुख—शोक की बहुत शक्लें हैं, बहुत रंग—रूप हैं!
फूल भी बस मुर्झाने के करीब है, अब मुर्झाया तब मुर्झाया। सुबह हो
गई,
सांझ होने में कितनी देर
लगेगी! जन्म आ गया तो मृत्यु भी आती ही होगी। और जवानी आ गई तो बुढ़ापे ने पहले कदम
रख दिए। ये सब दुख ही दुख की शक्लें हैं। लेकिन एक शक्ल से गाते हो तो तुम दूसरी
शक्ल के धोखे में आ जाते हो। और यहां अनंत शक्लों में है दुख मौजूद। इसलिए अनंत
जीवन लग जाते है, फिर
भी लोग जाग नहीं पाते हैं।
मेरा दौरे—गुजिश्ता भी यूं ही गुजरा है ३ हमदम
बना रक्खी थी इक सूरत खुशी की, शादमा क्या था
जिन्होंने जाना उनसे तो पूछो। जो
थोड़े पके हैं, जिनके
जीवन में थोड़ी परिपक्वता आई है, उनसे तो पूछो। वे कहते हैं —
मेरा दौरे—गुजिश्ता भी यूं ही गुजरा है ऐं
हमदम
ऐ मित्र! मेरा भूतकाल भी बस यूं ही
गुजरा है— ऐसी
ही भ्रांतियों में!
बना रक्खी थी इक सूरत खुशी की, शादमां क्या था
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मेरी वजहे—तबाही सिर्फ द्या हो नहीं सकता
तूफान अकेला क्या मेरी नाव को
डुबाएगा! हां मेरा मांझी, मेरा
खुदा…।
खुदा और नाखुदा मिल कर डुबो दें यह
तो मुमकिन है
मांझी में और परमात्मा में कोई सांठ—गांठ हो जाए और वे मेरी नाव को डुबो
दें, यह
तो मुमकिन है। मेरी वजहे—तबाही
सिर्फ द्या हो नहीं सकता
इस संसार का कोई तूफान, कोई आधी मुझे डुबा नहीं सकते।
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दिल रहीने— आरजू है, आरजू मरहूने—यास
घर हमें बरबाद करने को बनाना चाहिए
अभिलाषाओं के पास गिरवी है दिल।
दिल रहीने— आरजू है…
दिल तो गिरवी है आशाओं के पास।
……आरजू मरहूने—यास
और अभिलाषाएं निराशाओं के पास गिरवी
हैं।
घर हमें बराबाद करने को बनाना चाहिए
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