मर गया होता कभी का आपदाओं की कठिन
मार से।
यदि नहीं आशा श्रवण में नित्य यही संदेश देती प्यार से–
घूंट यह पी लो कि संकट जा रहा है
आज से अच्छा दिवस कल आ रहा है।
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प्रत्येक अनिश्चय से कुछ नष्ट होता हूं
प्रत्येक निषेध से कुछ खाली
प्रत्येक नए परिचय के बाद दूना अपरिचित
प्रत्येक इच्छा के बाद नयी तरह से पीड़ित
हर अनिर्दिष्ट चरण निर्दिष्ट के समीपतर पड़ता है
हर आसक्ति के बाद मन उदासियों से घिरता है।
जागो और ज़रा देखो।
हर अनुरक्ति मुझे कुछ इस तरह बिता जाती है।
मानो फिर जीने के लिए कोई भविष्य नहीं बचता है।
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प्रत्येक निषेध से कुछ खाली
प्रत्येक नए परिचय के बाद दूना अपरिचित
प्रत्येक इच्छा के बाद नई तरह से पीड़ित।
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कुछ इस कदर है गमे-जिंदगी से दिल मानूस
खिजां गई तो बहारों में भी नहीं लगता।
अगर सच में तुम जिंदगी के दुःखों को समझ लो
अगर तुम्हारा दिल जीवन के सारे दुःखों से इस भांति जागरूक हो जाए, देख ले, ठीक-ठीक देख ले, पहचान ले, सब पर्दे उघाड़ कर पहचान ले कि कहीं कोई सुख नहीं है. . .
कुछ इस कदर है गमे-जिंदगी से दिल मानूस
खिजां गई तो बहारों में भी जी नहीं लगता।
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यदि नहीं आशा श्रवण में नित्य यही संदेश देती प्यार से–
घूंट यह पी लो कि संकट जा रहा है
आज से अच्छा दिवस कल आ रहा है।
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प्रत्येक अनिश्चय से कुछ नष्ट होता हूं
प्रत्येक निषेध से कुछ खाली
प्रत्येक नए परिचय के बाद दूना अपरिचित
प्रत्येक इच्छा के बाद नयी तरह से पीड़ित
हर अनिर्दिष्ट चरण निर्दिष्ट के समीपतर पड़ता है
हर आसक्ति के बाद मन उदासियों से घिरता है।
जागो और ज़रा देखो।
हर अनुरक्ति मुझे कुछ इस तरह बिता जाती है।
मानो फिर जीने के लिए कोई भविष्य नहीं बचता है।
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प्रत्येक निषेध से कुछ खाली
प्रत्येक नए परिचय के बाद दूना अपरिचित
प्रत्येक इच्छा के बाद नई तरह से पीड़ित।
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कुछ इस कदर है गमे-जिंदगी से दिल मानूस
खिजां गई तो बहारों में भी नहीं लगता।
अगर सच में तुम जिंदगी के दुःखों को समझ लो
अगर तुम्हारा दिल जीवन के सारे दुःखों से इस भांति जागरूक हो जाए, देख ले, ठीक-ठीक देख ले, पहचान ले, सब पर्दे उघाड़ कर पहचान ले कि कहीं कोई सुख नहीं है. . .
कुछ इस कदर है गमे-जिंदगी से दिल मानूस
खिजां गई तो बहारों में भी जी नहीं लगता।
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