Friday, 5 June 2015

अजहू चेत गवांर (संत पलटूदास) प्रवचन–6

खुद झिझकता हूं कि दावा-ए-जुनूं क्या कीजे
कुछ गवारा भी है ये कैदे-दरोबाम अभी।
मैं डरता हूं, झिझकता हूं कि ईश्वर के उन्माद का दावा भी अभी कैसे करूं, कि प्रभु को पाने के लिए पागल हूं, यह भी अभी कैसे कहूं!
खुद झिझकता हूं कि दावा-ए-जुनूं क्या कीजे
कुछ गवारा भी है ये कैदे-दरोबाम अभी।
अभी दरवाजों और छतों से घिरा हुआ यह जो कारागृह है, इससे मुझे लगाव भी है। अभी दावा भी क्या करूं? स्वतंत्रता का दावा क्या करूं? अभी इस कारागृह से मुझे मोह है।
………………………………………………………………………


No comments:

Post a Comment