Monday, 22 August 2016

पद घूंघरू बांध--(प्रवचन--07)

जो मैं तुमसे कह रहा हूं वह पद्य है और तुम्हारे भीतर प्रार्थना बन सकता है। थोड़ी राह दो। थोडा मार्ग दो। तुम्हारे हृदय की भूमि में यह बीज पड़ जाये तो इसमें फूल निश्चित ही खिलने वाले हैं। यह पद्य ऊपर से प्रगट न हो, लेकिन यह पद्य तुम्हारे भीतर प्रगट होगा। और निश्चित ही जो मैं तुमसे कह रहा हूं वह मौन से आ रहा है। मौन से ही कहना चाहता हूं, लेकिन तुम सुनने में समर्थ नहीं हो। लेकिन जो मैं तुमसे कह रहा हूं, वह मौन के लिए है; मौन से है और मौन के लिए है। जो शब्द मैं तुमसे कहता हूं वह मेरे शून्य से आ रहा है, शून्य से सरोबोर है। तुम जरा उसे चबाना। तुम उसे जरा चूसना। तुम जरा उसे पचाना। और तुम पाओगे. शब्द तो खो गया, शून्य रह गया। ओशो

पद घूंघरू बांध--(प्रवचन--07)

मैंने राम रतन धन पायो।
वस्तु अमोलक दी मेरे सतगुरुकरि करिपा अपनायो।
जनम—जनम की पूंजी पाईजग में समय खोवायो।
खरचै नहिं कोई चोर न लेवैदिन दिन बधत सवायो।
सत की नाव खेवटिया सतगुरुभवसागर तरि आयो।
मीरा के प्रभु गिरधर नागरहरखि—हरखि जस गायो।।


नहिं भावे थांरो देसलड़ो रंगरूड़ो।
थारां देसां में राणा साध नहीं छैलोग बसैं सब कूड़ो।
गहना—गांठी राणा हम सब त्यागात्यागो कर रो चूड़ौ।
काजल—टीकी हम सब त्यागात्याग्यो छै बांधन जूड़ो।
मीरा के प्रभु गिरधर नागरवर पायो छै पूरो।।

मेरा मन रामहि राम रटै रे।
राम नाम जप लीजै प्रानीकोटिक पाप कटै रे।
जनम—जनम के खत जु पुरानेनामहि लेत फटै रे।
कनक कटोरे इम्रत भरियौपीवत कौन नटै रे।
मीरा कहै प्रभु हरि अविनासीतन मन ताहि पटै रे।।

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तुझको मालूम भी है कितने जनम बीत गए,
वादाए तलाखिये अय्याम को पीते—पीते,
तिश्नगी फिर भी तेरी कम नहीं होने पाई,
आज पीने का सलीका मैं सिखाता हूं तुझे,
मै तो मै पुर्दे तहे जाम खुशी से पी जा,
डाल दे फिर मेरी आंखों में तू अपनी आंखें,
इनमें पा जाएगा तू राजे शिकस्ते शीशा,
प्यास बुझ जाएगी सब तेरी हमेशा के लिए,
जुग के जुग बीत गएतुझको नहीं इसकी खबर,
आम दो रफ्त का है सिलसिला कब से जारी,
आज चलने का तरीका मैं बताता हूं तुझे,
दे मेरे हाथ में हाथ और इसी राह पर चल,
भूल जा रंजो सफरछोड़ दे सब फिक्रे मयाल,
खौफे गुमगश्तगी—ओ—दरिए मंजिल का खयाल,
इश्क का पहला कदम ही है नबीदे मंजिल।
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नूर का अपने खुद अमीन है तू।
बस तेरे सौंदर्य की तू ही एक उपमा है।
जानता हूं बहुत हसीन है तू
है ये लेकिन कसूर क्या मेरा।
शौके दीदार तेजतर कर दे,
शोला सामां मेरी नजर कर दे।
फिर तू आ बेनकाब होकर आ
नूरे सद आफताब होकर आ,
जोशे हुस्नो शबाब होकर आ,
शोरिशो इजतराब होकर आ।
है ये लेकिन कसूर क्या मेरा
जो नहीं मुझको ताबे नजारा,
मेरी रग—रग में मस्तियां बन कर,
मेरे दिल में शराब होकर आ
एक नजर से खराब हो जाऊं,
तू खुद ऐसे खराब होकर आ
मुझमें अपना जवाब पैदा कर
फिर तू मेरा जवाब होकर आ।
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अमन दुनिया में है नसीब किसे,
कौन है जो यहां निराश नहीं,
कौन रंजो अलम से है आजाद,
किसको ऐशो तरब की आस नहीं,
दिल में है खाहिशात के तूफां,
बस यही एक आध आस नहीं,
अपना दुखड़ा किसे सुनाने जाएं,
क्या कोई है जो यां उदास नहीं,
तेरे कदमों में है निशाते जां,
कोई दुख दर्द—रंजो यास नहीं।
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ध्यान रूखा—सूखा मार्ग हैप्रार्थनाबड़ी रसपूर्ण।
तेरे ही हुक्म से इक—इक सांस मेरी रवां
तेरे इशारे से पैदा नजर में नक्शो निशां
तेरे ही दम से जबां पर जहूरे लफ्जों बयां
तेरी निगाहे करम ही से रक्शे शोलाए जां
तेरा गुलाम नहीं हूं तो और क्या हूं मैं
तेरी ही बात से बनती है बात बात मेरी
तेरा ही नाम तो है सारी कायनात मेरी
तेरा ही जिक्रे मुकर्रर तो है हयात मेरी
तेरी ही यादे मसलसल का रूप जात मेरी
तेरा गुलाम नहीं हूं तो और क्या हूं मैं
तेरे ही कदमों में रौनक फरोज हर दो जहां
यहीं अदब से झुकाए हैं सर मकानो जमां
यहीं से होता है सबको हसूले अमनो अमां
मैं छोड़ कर तेरे कदमों को जाऊं भी तो कहां
तेरा गुलाम नहीं हूं तो और क्या हूं मैं
यकीनो जोरे अकीदत यहीं से मिलता है
जनूने इश्को मोहब्बत यहीं से मिलता है
शऊरे राजे हकीकत यहीं से मिलता है
सरूरे कैफे मुसर्रत यहीं से मिलता है
तेरा गुलाम नहीं हूं तो और क्या हूं मैं।
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जमाने की हर एक शै अब नई मालूम होती है।
निशात अंगेज हरसू जिंदगी मालूम होती है
तेरे जलवे का परतौ जर्रे—जर्रे में नुमाया है
मेरी आंखों में तेरी रोशनी मालूम होती है
तेरा जलवा मेरी आंखों में कुछ ऐसा समाया है
कि हरेक शक्ले—हंसी सूरत तेरी मालूम होती है
यहां तक हो गई तेरे जलवों से शनासाई
कि तारीकी भी अब तो रौशनी मालूम होती है
मेरा हर दर्द अपना आप दरमां होता जाता है
चमक में आंसुओं की इक हंसी मालूम होती है
मिटाया था तेरी खातिर निशाने अक्शे हस्ती तक
तेरी हस्ती मगर हस्ती मेरी मालूम होती है
कभी कभी खुदी का नाम तक बाकी नहीं रहता
कभी लेकिन खुदी ही बेखुदी मालूम होती है
चिरागे रह बनेंगे एक दिन नक्शे कदम मेरे
अभी रफ्तार मेरी गुमरही मालूम होती है।

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