जो मैं तुमसे कह रहा हूं वह पद्य है और तुम्हारे भीतर प्रार्थना बन सकता है। थोड़ी राह दो। थोडा मार्ग दो। तुम्हारे हृदय की भूमि में यह बीज पड़ जाये तो इसमें फूल निश्चित ही खिलने वाले हैं। यह पद्य ऊपर से प्रगट न हो, लेकिन यह पद्य तुम्हारे भीतर प्रगट होगा।
और निश्चित ही जो मैं तुमसे कह रहा हूं वह मौन से आ रहा है। मौन से ही कहना चाहता हूं, लेकिन तुम सुनने में समर्थ नहीं हो। लेकिन जो मैं तुमसे कह रहा हूं, वह मौन के लिए है; मौन से है और मौन के लिए है। जो शब्द मैं तुमसे कहता हूं वह मेरे शून्य से आ रहा है, शून्य से सरोबोर है। तुम जरा उसे चबाना। तुम उसे जरा चूसना। तुम जरा उसे पचाना। और तुम पाओगे. शब्द तो खो गया, शून्य रह गया।
ओशो
मुझे दर्दे दिल की है जुस्तजू मुझे चश्मेतर की तलाश है
मुझे सोजो साजे हयात की गमे मोतवर की तलाश है
जिन्हें शौके जलबाए बाम हैं उन्हें हों नसीब बुलंदियां
मेरा सर जहां से न उठ सके मुझे ऐसे दर की तलाश है
जिन्हें बिजलियों की है आरजू उन्हें शोलगी मिले बर्फ की
मुझे आशियां की है जुस्तजू मुझे बालो पर की तलाश है
जिन्हें जौके कैफो सरूर है वो गरीक मस्तियों हाल हों
मेरे दिल को साकिए मयकदा तेरी इक नजर की तलाश है
है जुनूने सैरे फलक जिन्हें उन्हें राहे कहकशां मिले
मुझे तेरे दर की तलाश है तेरी रहगुजर की तलाश है
है तलाशे लालो गुहर जिन्हें मिलें उन्हें बहरो बर की ये दौलतें
मुझे नक्शे पा की तेरे तलब तेरे खाके दर की तलाश है
जो खुदा के जोया हैं अर्श पर वो खुदा से जाके हों हमसखुन
जिसे ढूंढता फिरे खुद खुदा मुझे उस बशर की तलाश है।
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मेरी निगाह में हुशियार हैं वो दीवाने
जो जानबूझ के खुद ही बने अनजाने
ये शहरवाले भला उनकी शान क्या जानें
जो बस्तियों को भी शर्मा रहे हैं वीराने
वो वक्फ रखते हैं अपने लिए ही राजे हयात
जो लौ का जुज्व कभी बन सके न परवाने
तेरी नजर से जो देखा तो कोई गैर न था
मेरी नजर में तो अपने थे और बेगाने
यही थी तेरी रजा इक सदा लगा के चले
अब इससे क्या मेरी कोई माने या न माने
कोई भी आज हमें पूछता नहीं इक दिन
जबाने खल्क पै होंगे हमारे अफसाने।
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जहाने शौक की नाकामीओ तही दस्ती
हमारी कमनजरी के सिवा और कुछ नहीं।
यह हमारा खाली हाथ हमारी दृष्टि की कमी है,और कुछ भी नहीं।
जहाने शौक की नाकामीओ तही दस्ती
यह हमारा खाली होना, खाली हाथ—
हमारी कमनजरी के सिवा और कुछ नहीं
ये दर्दे हिज्र ये बेचारगी ये महरूमी
दुआ की बेअसरी के सिवा कुछ और नहीं।
यह हमारा दुख, यह हमारी कमजोरी, यह हमारी असहाय अवस्था—
दुआ की बेअसरी के सिवा कुछ और नहीं।
हमें प्रार्थना करनी नहीं आई अभी तक,इसीलिए।
गरूरे इल्मो फखरे अकलो दानिशो फन
जहूरे बेखबरी के सिवा कुछ और नहीं।
हिजाबे रंगे खुदी हो कि बेखुदी का
बशर की दीदावरी के सिवा कुछ और नहीं।
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वो नगमा जो हुआ तखलीक कोहसारों में
जवां हुआ जो हिमाला के पाकगारों में
लतीफ जिसका तरन्नुम है आबशारों में
रवां दवां है जो गंगो—जमन के धारों में
जगाओ नगमाए संन्यास को ओम् तत् सत् ओम्
जिसे जहान की अलाइशें न छू सकें
जनों पिसर की कोई बंदिशें न छू सकें
जमानों जर की जिसे ख्वाहिशें न छू सकें
हसूले मरतबा की काविशें न छू सकें
वो पाक नगमाए संन्यास ओम् तत् सत् ओम्
बस एक ओम् को अपनाओ ओम् तत् सत् ओम्
बस ओम् में ही समा जाओ ओम् तत् सत् ओम्
तुम अपनी अस्ले खुदी पाओ ओम् तत् सत् ओम्
जन्म मरन से निकल जाओ ओम् तत् सत् ओम्
लगाओ नाराए संन्यास ओम् तत् सत् ओम्!